मुंबई, 22 जून . अभिनेता और होस्ट रणविजय सिंह ने अपने अपकमिंग रियलिटी शो ‘गोरी चले गांव’ को व्यक्तिगत यात्रा बताया है. उनके लिए ये शो पुराने दिनों में लौटने का जरिया बना, उस दौर में ले गया जब वो गांव की गलियों में, बाग बगीचों में और खेत खलिहानों में घूमा फिरा करते थे.
अभिनेता ने बताया कि यह शो उन्हें ग्रामीण परिवेश में बिते बचपन की याद दिलाता है.
से बात करते हुए रणविजय ने बताया, “जब मुझे इस शो का कॉन्सेप्ट बताया गया, तो मुझे यह बहुत दिलचस्प लगा. उन्होंने मुझे बताया कि वे यह शो मराठी में पहले बना चुके हैं, जो कि लोगों को काफी पसंद आया था. अब वे इसे पूरे भारत में ले जाना चाहते हैं. कॉन्सेप्ट अपने आप में ही काफी अच्छा है. शो में बारह शहरी लड़कियां होती हैं, जो आलीशान जिंदगी जीती हैं, लेकिन अचानक उन्हें गांव में आकर रहना पड़ता है, जो आसान नहीं होता.
रणविजय कहते हैं कि “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वहां के लोग संघर्ष कर रहे हैं, बल्कि यह उनका सामान्य जीवन है. लेकिन वहां सबको अपना काम खुद करना होता है, वहां बटन दबाने से कुछ नहीं होता है, गांव में आपको चाय खुद बनानी पड़ती है, अपना पानी खुद लाना पड़ता है. आप वहां यह नहीं कह सकते हैं कि ‘मैं यह ऑर्डर करूंगा.’
अभिनेता ने कहा, “शहरी जीवन में बहुत सी सुविधाएं हैं जो गांव में नहीं हैं. लेकिन ग्रामीण जीवन के अपने फायदे हैं: ऑर्गेनिक खाना, स्वच्छ हवा, स्वस्थ वातावरण. वहां आप कभी अकेले नहीं होते हो; अगर साथ में जश्न मनाते हो तो शोक भी मनाते हो. ऐसी संस्कृति, एकता शहर में देखने को कम मिलती है.”
अपने बचपन की यादों को ताजा करते हुए, ‘रोडीज’ के होस्ट ने शेयर करते हुए बताया, “मुझे याद है कि बचपन में मैं गांव जाता था और मुझसे कहा जाता था, “तुम मौज-मस्ती करोगे, लेकिन कुछ काम भी करोगे.” वो मौज-मस्ती और जिम्मेदारी मेरे लिए यादगार पल थे. मुझे लगता है कि इस शो में लड़कियों के अनुभव के माध्यम से मैं उन पलों को फिर से जी पाऊंगा. शायद मैं गांव में नई चुनौतियों का भी सामना करूं जो मुझे आगे बढ़ने में मदद करेंगी.”
जब रणविजय से पूछा गया कि क्या वह हमेशा के लिए गांव में रहने का विचार करेंगे, तो उन्होंने कहा, “जी हां, बिल्कुल, मैं गांव में रहना पसंद करूंगा. मैं वहां जैविक खेती करना चाहूंगा, बास्केटबॉल कोर्ट बनाऊंगा, और शायद पास में ही ऑफ-रोडिंग भी करूं.”
गांव का पर्यावरण अच्छा होता है और बच्चे भी सेहतमंद और ताकतवर बनते हैं. वो प्रदूषण और स्क्रीन की लत से भी दूर रहते हैं, जो शहरों में बहुत आम होता है. अगर मेरा काम मुझे लगातार शहर वापस आए बिना कमाने की अनुमति देता, तो मैं उस जीवन को पूरी तरह से अपना लेता. मेरे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलेगी, जो मजबूत मूल्यों पर आधारित होगी. ईमानदारी से कहूं तो इससे ज्यादा कोई और क्या मांग सकता है?”
बता दें, “गोरिया चली गांव” एक ग्रामीण से संबंधित रिएलिटी शो है जिसमें प्रतियोगी अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलकर ग्रामीण जीवन की चुनौतियों में खुद को डुबोते हुए दिखाई देंगे.
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एनएस/केआर
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