New Delhi, 20 अक्टूबर . आजाद हिन्द फौज की स्थापना 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में हुई थी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अस्थायी India Government ‘आजाद हिन्द Government’ की स्थापना की और ‘आजाद हिन्द फौज’ का गठन किया था. इस संगठन का उद्देश्य India को ब्रिटिश शासन से मुक्त करना था, और इसके लिए नेताजी ने जापान के सहयोग से एक सशक्त सेना का निर्माण किया.
आजाद हिन्द फौज के पहले डिवीजन का गठन 1 दिसंबर, 1942 को मोहन सिंह के अधीन हुआ था. इसमें लगभग 16,300 सैनिक थे. बाद में जापान ने 60,000 युद्ध बंदियों को आजाद हिन्द फौज में शामिल होने की अनुमति दी. हालांकि, मोहन सिंह और जापानी Government के बीच भूमिका को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया, जिसके परिणामस्वरूप मोहन सिंह और निरंजन सिंह गिल को गिरफ्तार कर लिया गया.
4 जुलाई, 1943, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिन्द फौज की कमान संभाली और ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ नारे का उद्घोष किया. नेताजी के नेतृत्व में आजाद हिन्द फौज ने रंगून से दिल्ली तक का सफर तय किया और कई महत्वपूर्ण जगहों पर विजय हासिल की.
आजाद हिन्द फौज ने India की स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इसने ब्रिटिश सेना को कड़ी टक्कर दी और India की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले लोगों में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया. आजाद हिंद फौज के सैनिकों ने अपनी वीरता और बलिदान के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए, जिनमें शेरे-हिन्द, सरदारे-जंग, वीरे-हिन्द और शहीदे-India शामिल थे.
आजाद हिंद फौज ने India की स्वतंत्रता की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसने दिखाया कि भारतीय लोग अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं और वे इसके लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर सकते हैं.
तब से लेकर आज तक हर साल आजाद हिंद फौज की स्थापना दिवस को देशभर में याद किया जाता है. इस दिन हम अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले वीर सपूतों को याद करते हैं और उनके बलिदानों को नमन करते हैं.
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केके/डीएससी
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