New Delhi, 20 जुलाई . 21 जुलाई 2007 ये वो तारीख है, जो भारतीय राजनीति के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई. यह वह ऐतिहासिक दिन था जब प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने राष्ट्रपति चुनाव में विजय हासिल कर भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया. उनकी यह उपलब्धि न केवल लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी, बल्कि यह भारतीय समाज के प्रगतिशील दृष्टिकोण का भी प्रतीक बनी.
एक साधारण परिवार से निकलकर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने वाली प्रतिभा पाटिल की यह यात्रा भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा है. 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करने वाली प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल (2007-2012) के दौरान कुशल प्रशासन, सामाजिक कार्यों में योगदान और महिला-उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए.
प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का जन्म 19 दिसंबर, 1934 को महाराष्ट्र के जलगांव जिले के नादगांव में हुआ था. प्रतिभा ने अपनी शुरुआती शिक्षा जलगांव के आरआर विद्यालय से हासिल की. इसके बाद उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, Mumbai से एलएलबी किया.
27 साल की उम्र में उन्होंने जलगांव विधानसभा क्षेत्र से महाराष्ट्र विधानमंडल के लिए पहला चुनाव जीता. इसके बाद, वे 1962 से 1985 तक मुक्ताई नगर से लगातार चार बार विधायक चुनी गईं. 1985 से 1990 तक वे राज्यसभा की सदस्य रहीं. 1991 में अमरावती से दसवीं Lok Sabha के लिए सांसद चुनी गईं. उन्हें अपने पूरे राजनीतिक करियर में कभी चुनावी हार का सामना नहीं करना पड़ा, जो एक अनूठा रिकॉर्ड है.
2007 में यूपीए गठबंधन ने प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया. 21 जुलाई 2007 को हुए चुनाव में उन्होंने एनडीए के उम्मीदवार भैरोंसिंह शेखावत को हराकर जीत हासिल की. राष्ट्रपति बनने से पहले वे 8 नवंबर, 2004 से 21 जून, 2007 तक राजस्थान की राज्यपाल थीं. 25 जुलाई 2007 को उन्होंने भारत की 12वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली, जो भारतीय इतिहास में पहली बार किसी महिला के लिए यह सम्मान था. उनके कार्यकाल (2007-2012) में उन्होंने सामाजिक समावेश, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय पहल कीं.
प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल में सामाजिक कल्याण और महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया. उन्होंने Mumbai और दिल्ली में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास स्थापित करने में योगदान दिया. इसके अलावा, उनके कार्यकाल में कई दया याचिकाओं पर भी निर्णय लिया गया, जिनमें से कई को मंजूरी दी गई.
सुनैना सिंह की किताब ‘रीइन्वेंटिंग लीडरशिप: प्रतिभा देवीसिंह पाटिल’ और रमेश चंद्र-नीला गोखले की किताब ‘फर्स्ट वूमेन प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया: प्रतिभा पाटिल) में उनके जीवन और राष्ट्रपति कार्यकाल के बारे में विस्तार से बताया गया है.
1 जून 2019 को उन्हें मेक्सिको के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डेन मेक्सिकाना डेल एग्वेला एज्टेका’ (ऑर्डर ऑफ एज़्टेक ईगल) से सम्मानित किया गया. यह सम्मान पाने वाली वे दूसरी भारतीय राष्ट्रपति बनीं. इससे पहले यह सम्मान पूर्व राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन को दिया गया था. उनके सामाजिक और राजनीतिक योगदान को देश-विदेश में भी सराहा गया.
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एफएम/केआर
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