नई दिल्ली, 4 मई . अच्छा खान-पान शरीर के लिए ही नहीं, दिमाग के लिए भी जरूरी होता है. शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है और मन मस्तिष्क भी सभी चिंताओं से मुक्त. ऐसा कई शोध दावा करते हैं. कुछ ऐसे अध्ययन भी हुए हैं जो बताते हैं कि ब्रेन हेल्थ के लिए कुछ चीजों को हमेशा के लिए बाय-बाय कह देना चाहिए. इन विभिन्न स्टडीज के आधार पर आपको बताते हैं उन तीन चीजों या आदतों के बारे में जिन्हें अपनाया तो डिमेंशिया का खतरा टला रहेगा.
न्यूरोसाइंटिस्ट्स के मुताबिक बैड हेल्थ हैबिट्स कॉग्नेटिव फंक्शन पर नकारात्मक असर पड़ता है और धीरे-धीरे मनोभ्रंश यानी डिमेंशिया का खतरा बढ़ने लगता है. तीन खाद्य पदार्थों या आदतों से तौबा कर लेनी चाहिए वो हैं- यूपीएफ यानी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड, खाने की ओवर हीटिंग और स्वीटनर्स.
यूपीएफ- अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में चीनी, नमक, कृत्रिम तत्व और अनसैचुरेटेड फैट्स की उच्च मात्रा होती है; और ये सुविधाजनक, पैकेज्ड सामान मस्तिष्क सहित पूरे शरीर में सूजन पैदा करते हैं.
एक नए अध्ययन से पता चलता है कि यूपीएफ के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. शोध में यूपीएफ से शरीर पर पड़ने वाले नेगेटिव इंपैक्ट साबित हुई है. जिसमें हृदय रोग, कैंसर, चयापचय सिंड्रोम, मोटापा, गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग, टाइप 2 मधुमेह और यहां तक कि समय से पहले मृत्यु का जोखिम शामिल है.
2022 में न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अगर आप रोजाना 10 फीसदी भी प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं तो मनोभ्रंश का जोखिम 25 फीसदी बढ़ जाता है.
ओवर हीटिंग से भी नुकसान- जब भोजन को ग्रिलिंग, फ्राइंग या ब्रॉइलिंग के माध्यम से उच्च तापमान पर पकाया जाता है, तो यह एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड-प्रोडक्ट्स (एजीई) बनाता है और ये ब्रेन में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को ट्रिगर करते हैं. इसका सीधा संबंध एमिलॉयड प्लेक से है – वही जमा प्रोटीन जो अल्जाइमर रोग में दिमाग में बनते हैं. तो राय यही है कि उच्च ताप पर खाना पकाने से बचें और जितना हो सके स्टीम कर पकाएं.
स्वीटनर- वही जो चीनी के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, सेहत के लिए कड़वा साबित हो सकता है. इसे जीरो कैलोरी वाला ऑप्शन करार दिया जाता है.
हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ कृत्रिम स्वीटनर आंत के बैक्टीरिया को ऐसे बदल सकते हैं जो सूजन को बढ़ावा दे सकता है, यह सूजन कॉग्नेटिव फंक्शन्स को प्रभावित कर सकती है और संभावित रूप से न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों के जोखिम को बढ़ा सकती है.
कम कैलोरी वाले स्वीटनर ‘एस्पार्टेम’ को याददाश्त में खलल और सीखने की प्रवृत्ति कम करने के तौर पर देखा गया है, जबकि अन्य अध्ययनों से पता चला है कि कृत्रिम स्वीटनर के लंबे समय तक उपयोग से स्ट्रोक, हृदय रोग और यहां तक कि समय से पहले मृत्यु का जोखिम बढ़ सकता है.
–
केआर/
The post first appeared on .
You may also like
WATCH: ये नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा! सर जडेजा ने मारा है IPL 2025 का सबसे लंबा छक्का; स्टेडियम की छत पर गिरी बॉल
चुनाव आयोग जल्द लॉन्च करेगा 'ईसीआईनेट', 40 ऐप्स होंगे समाहित
पुलिस ने 5 घंटे चलाया धरपकड़ अभियान, 87 अभियुक्त गिरफ्तार
धर्मशाला में आज शाम पंजाब किंग्स और लखनऊ के बीच रोमांचक मुकाबला, बारिश का भी बना हुआ है साया
दर्जनों मोटरसाइकिलों से आए बदमाशों ने युवक का किया अपहरण