अयोध्या/उज्जैन, 24 अगस्त . आध्यात्मिक गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की ओर से संत प्रेमानंद पर की गई टिप्पणी को लेकर संत समाज ने नाराजगी जताई है. इस बयान पर कई प्रमुख संतों ने आपत्ति जताई है और इसे सनातन धर्म के मूल्यों के खिलाफ बताया है.
सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के देवेशाचार्य महाराज ने स्वामी रामभद्राचार्य के बयान की निंदा करते हुए कहा, “ऐसे शब्द उनके पद के अनुरूप नहीं हैं. स्वामी रामभद्राचार्य अत्यंत पूजनीय संत हैं और सनातन धर्म में उनका सर्वोच्च स्थान है. ऐसी भाषा का प्रयोग बिल्कुल अनुचित है. संतों से संयमित और मर्यादित व्यवहार की अपेक्षा की जाती है.”
इसी तरह, सीताराम दास महाराज ने इस टिप्पणी को संकीर्ण मानसिकता का परिचायक बताया. उन्होंने कहा, “संत प्रेमानंद लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं. स्वामी रामभद्राचार्य को ऐसा बयान देने से बचना चाहिए था.”
उन्होंने आगे कहा कि संतों का कर्तव्य समाज को एकजुट करना है, न कि विवाद उत्पन्न करना. इस तरह की बातों का समर्थन नहीं किया जा सकता. संतों को अपने व्यवहार और वाणी में संयम बरतना चाहिए, ताकि सनातन धर्म की गरिमा बनी रहे.
हनुमानगढ़ी मंदिर के पुजारी महंत राजू दास ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा, “स्वामी रामभद्राचार्य और संत प्रेमानंद दोनों ही महान संत हैं. ऐसे बयानों से बचना चाहिए, क्योंकि ये समाज में गलत संदेश देते हैं. मैं संतों से आपसी सम्मान और सद्भाव बनाए रखने का आग्रह करता हूं.”
उज्जैन अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रामेश्वर दास महाराज ने भी इस टिप्पणी को अनुचित ठहराया. उन्होंने कहा, “साधु-संतों को ऐसी टिप्पणियों से दूर रहना चाहिए. स्वामी रामभद्राचार्य का बयान सनातन धर्म की गरिमा के अनुकूल नहीं है. बेवजह बयानबाजियों के बजाय संत समाज एकता और शांति का संदेश देश और समाज को दें, ऐसा मैं आग्रह करता हूं.”
वहीं, महंत विशाल दास महाराज ने इस मामले को संतों का आंतरिक मुद्दा बताते हुए सुझाव दिया कि दोनों संतों को आपस में बैठकर बातचीत के जरिए विवाद सुलझाना चाहिए. उन्होंने कहा, “दोनों पूजनीय हैं. यदि कोई मतभेद है, तो उसे सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए.”
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज को लेकर बड़ा बयान दिया है. रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज को चुनौती देते हुए कहा, “चमत्कार अगर है, तो मैं चैलेंज करता हूं प्रेमानंद जी एक अक्षर मेरे सामने संस्कृत बोलकर दिखा दें, या मेरे कहे हुए संस्कृत श्लोकों का अर्थ समझा दें.”
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एकेएस/एबीएम
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