तंजावुर, 14 अक्टूबर . हिंदू धर्म में यमराज को न्याय और मृत्यु का देवता कहा जाता है जो सभी के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. यमराज को धर्मराज भी कहा जाता है, लेकिन कुछ ही ऐसी जगह हैं जहां पर यमराज की पूजा की जाती है. ऐसा ही एक मंदिर तमिलनाडु में स्थित है.
तमिलनाडु के तंजावुर जिले में स्थित धर्मराज का मंदिर अपने आप में ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है. माना जाता है कि यह मंदिर लगभग एक हजार साल पुराना है. यहां भैंसे पर सवार यम देवता की भव्य मूर्ति विराजमान है. वर्षों से यहां बड़ी संख्या में भक्तगण दूर-दूर से आकर यम देवता के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं.
माना जाता है कि इस मंदिर में यम देवता की पूजा करने से साधक को अकाल मृत्यु की बाधा से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.
मंदिर से जुड़ी कथा भी अत्यंत रोचक है. सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि एक बार भगवान शिव ध्यान मुद्रा में थे. उस समय सभी देवता कैलाश पहुंचे और भगवान शिव को ध्यान मुद्रा में देख सोचने लगे कि कब वह ध्यान से बाहर आएंगे. देवताओं ने सुझाव दिया कि कामदेव को भेजा जाए, ताकि भगवान शिव का ध्यान भंग किया जा सके.
कामदेव ने भगवान शिव के ध्यान को तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन यह असफल रहे. भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने तत्क्षण कामदेव को भस्म कर दिया.
कामदेव के भस्म होने पर उनकी पत्नी रति अत्यंत दुखी हो गईं. उन्होंने यम देवता से प्रार्थना की कि कामदेव को पुनर्जीवित किया जाए. धर्मराज ने इस अनुरोध को मानते हुए भगवान शिव से अनुमति प्राप्त की और कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया. भगवान शिव ने यमराज को जीवनदान का वरदान प्रदान किया. माना जाता है कि यही वह पावन स्थान है, जहां यम देवता ने कामदेव को जीवनदान दिया था. इस कथा के कारण यह मंदिर भक्ति और रहस्य से भरा माना जाता है.
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पीआईएम/वीसी
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