मुंबई | महाराष्ट्र में मुगल शासक औरंगजेब की क्रब को लेकर सियासी घमासान जारी है. हाल ही में विक्की कौशल की फिल्म ‘छावा’ रिलीज हुई है. जिसके बाद औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर सियासी घमासान जारी है. औरंगजेब का मकबरा औरंगाबाद से 25 किलोमीटर दूर खुल्दाबाद में मौजूद है. औरंगजेब का यह मकबरा सन 1707 में कच्ची मिट्टी से बनवाया गया था. जिसके बाद इसमें लॉर्ड कर्जन ने मार्बल चढ़वा दिए थे.
अकेलेपन का शिकार हुआ औरंगजेब
बीबीसी के मुताबिक, औरंगजेब ने अपने तीन दशक दक्षिण भारत में बिताए थे. मुगल शासक के इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब ‘द शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब’ में लिखा है कि जब औरंगजेब बूढ़े हुए थे तो वह अकेलेपन का शिकार हो गए थे. इतना ही नहीं बल्कि उनके सभी साथी गुजर गए थे. इनके अलावा दरबार में सभी चापलूसी और जलन करने वाले दरबारी दिखाई देते हैं.
एक-एक करके बेटे और बेटी की हुई मौतजैसे-जैसे औरंगजेब बूढ़ा होता जा रहा था, वैसे-वैसे उसकी जिंदगी भी अंधेरे में जा रही थी. औरंगजेब को बड़ा सदमा उस समय लगा जब एक-एक करके उसके परिवार के लोगों की मौत हुई. साल 1702 में उसकी कवयित्री बेटी जेब उन निसां दुनिया से चल बसी तो वहीं सन 1704 में उसके बेटे अकबर द्वितीय की ईरान में मौत हो गई.
सन 1705 में औरंगजेब की बहू जहानजेब बानो की गुजरात में मौत हुई तो वहीं साल 1706 में उसकी बेटी मेहर उन निसां और दामाद इज़ीद बख्श की मौत भी दिल्ली में हो गई. इतना ही नहीं औरंगजेब की भाई-बहनों में अकेली जिंदा बची गौहर आरा भी नहीं बच सकीं. अभी भी औरंगजेब के दुखों का अंत नहीं हुआ, इनकी मौत से कुछ समय पहले पोते बुलंद अख़्तर ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया. इसके बाद भी उनके दो और पोतों की मौत हुई लेकिन दरबारी चाहते थे कि ये खबर उसे न दी जाए ताकि उन्हें फिर धक्का न लगे.
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