‘सांपों की अदालत’ ये शब्द सुन आपका दिमाग घूम गया होगा। सोच रहे होंगे कि ये क्या है और क्यों है? दरअसल मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर (Sehore) जिले के लसूड़िया परिहार गांव (Lasudia Parihar Village) में हर साल दिवाली के अगले दिन सांपों की अदालत लगती है। ये प्रथा पिछले 150 सालों से चली आ रही है। यहां बकायदा सांपों की पेशी होती है और उनसे लोगों को डसने की वजह पूछी जाती है। यहां आज भी हजारों सर्पदंश से पीड़ित लोग स्वस्थ होने की कामना लेकर मंदिर में आते हैं।
मानव के शरीर में आते हैं नाग देवतायहां जब अदालत में पेशी लगती है तो मानव के शरीर में नाग देवता आते हैं। इस दौरान वह पीड़ित व्यक्ति को डसने की वजह बताते हैं। कोई बोलत है कि ‘मेरी पूंछ पर पैर रखा था इसलिए डस लिया’ तो वहीं कोई कहता है बहुत परेशान करता था इसलिए काट लिया।’ नागों का यह दरबार दिवाली के अगले दिन पड़वा पर लगता है। शुक्रवार 5 नवंबर को भी गांव में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला।
ऐसे लगती है सांपों की अदालतसांपों की अदालत शुरू करने से पहले सांप की आकृति स्वरूप बनी थाली को नगाडे़ की तरह बजाना शुरू किया जाता है। इसके बाद जिन लोगों को पहले सांप काट चुका है वह अचानक झूमने लगते हैं। उनमें नाग देवता आ जाते हैं। फिर पंडितजी इन लोगों से बात करते हैं।
वे मानव शरीर में आए सांपों से पूछते हैं कि तुमने पीड़ित को क्यों काटा था? इस पर नाग देवता जवाब देते हुए अलग अलग कारण बताते हैं। इसके बाद पीड़ित व्यक्ति वचन देता है कि वह दोबारा कभी सांपों को परेशान नहीं करेगा।
सांपों की यह अदालत सीहोर जिले से महज 15 किलोमीटर दूर इस गांव में स्थित राम मंदिर में लगती है। गांव के नंदगिरी महाराज बताते हैं कि हमारी तीन पीढ़ी सांपों की पेशी करते आ रही है। सांप की आत्मा सर्प दंश से पीड़ित व्यक्ति के शरीर मे आती है और काटने की वजह बताती है। सांपों की यह अदालत सुबह शुरू होती है और शाम तक चलती रहती है।
सांपों की अदालत में आते हैं हजारों लोग
अब इसे अंधविश्वास कहे या आस्था, लेकिन मंदिर में हनुमानजी की मड़िया के सामने सांपों की पेशी में शामिल होने हर साल हजारों की संख्या में लोग आते हैं। इनमें अधिकतर वही लोग होते हैं जिन्हें पहले सांप काट चुका होता है। ऐसे में वह यह जवाब खोजने आते हैं कि उन्हें सांप ने आखिर क्यों काटा था। इसके लिए ले कांडी की धुन पर भरनी गाकर इन्हें पेशी पर बुलाया जाता है।
इस दौरान एक नाग जब मानव शरीर में आया तो उसने कहा ‘तेरे खेत में शांति से रहता था, तूने तो मेरा ही घर तोड़ दिया। इसी की सजा मैंने तुझे दी थी। मैं तो तुम्हारे परिवार का हर जगह साथ दिया था और तुमने मुझे अपने से दूर क्यों कर दिया।’
वैसे इस प्रथा को आप किस तरह से देखते हैं हमे कमेंट कर जरूर बताएं।
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