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14 साल से क्राइम का सेम पैटर्न, गला काटकर… कैसे कपड़े धोने वाले का बेटा बन गया खूंखार कातिल, दहशत भरी है शंकर कन्नौजिया की ये कहानी

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Shankar Kannaujia Encounter Inside Story: यूपी एसटीएफ की वाराणसी यूनिट की टीम ने खूंखार बदमाश शंकर कन्नौजिया को आखिरकार मुठभेड़ में ढेर कर दिया. यूपी एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक, इस बदमाश के पैटर्न का विधिवत अध्ययन किया गया. इसी बीच जानकरी मिली कि शंकर आजमगढ़ के जहानागंज में है और किसी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है.

इसके बाद आनन-फानन में टीम बनाई गई. टीम में वो पुलिस वाले रखे गए, जिन्होंने शंकर के पैटर्न का अध्ययन किया था. इस टीम ने सटीक लोकेशन के आधार पर दबिश दी. शंकर को जिंदा पकड़ने की कोशिश की गई, लेकिन बदमाश ने पुलिस पर फायरिंग की और भागने का प्रयास किया. इस पर पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की और बदमाश मौके पर ढेर हो गया.

इन जिलों में दहशत का नाम बन चुका था बदमाश

शंकर कन्नौजिया आजमगढ़, मऊ और गोरखपुर जिले में दहशत का नाम बन चुका था. तीन जिलों की पुलिस को उसकी तलाश 14 साल से थी, लेकिन कहीं इस बदमाश कुछ पता नहीं चल पा रहा था. वहीं, इसके गुनाहों की लिस्ट भी लगातार लंबी होती जा रही थी. शंकर पर पहले पुलिस ने 50 हजार फिर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया. शंकर मूल रूप से आजमगढ़ के हाजीपुर थाना क्षेत्र के रौनापार का निवासी था.

शंकर की बचपन से ही प्रवृति आपराधिक थी. शंकर के पिता लालचंद्र कन्नौजिया लोगों की कपड़े धुलाई और उनको प्रेस करने का काम करते थे. शंकर बचपन से ही मनबढ़ था. पुलिस सूत्रों के अनुसार, शंकर की पहली लड़ाई गांव में हुई थी. इसके बाद शंकर गुनाह पर गुनाह करता चला गया. शंकर के खिलाफ साल 2009 में पहला केस पुलिस में दर्ज हुआ. केस था लूटपाट का.

साल 2009 में गैंग और 2011 में की पहली हत्या

शंकर मूल रूप से लोगों को लूटने का काम करता था. साल 2009 में शंकर गैंग बनाकर वारदत करने लगा. साल 2011 में शंकर ने पहली हत्या की थी. शंकर ने जिसकी हत्या की थी उनका नाम था विंध्याचल पांडेय. शंकर दोहरीघाट क्षेत्र में लूट कर था, तभी विंध्याचल पांडेय ने शंकर का विरोध किया, जिसके बाद विंध्याचल पांडेय को शंकर ने गला काटकर मार दिया था.

इसके बाद शंकर ने कई लूट की और उस दौरान लोगों का गला काटा. आखिरी बार साल 2014 में शंकर ने महाराजगंज के एक व्यक्ति का गला काटा था. उनका का नाम शैलेंद्र सिंह था. वो महाराजगंज के ही रहने वाले थे. शंकर ने उनकी लोडर गाड़ी लूटी थी और उनका सिर काट दिया था. पुलिस सुत्रों के अनुसार, शंकर के बारे में कई बार इनपुट मिला.

कई बार पकड़ने में नाकाम रही पुलिस

शंकर को पड़कने के लिए पुलिस ने जाल भी बिछाया, लेकिन हर बार इस बदमाश को पकड़ने में नाकाम रही. शंकर पुलिस के सामने ही वारदात करता और फिर गायब हो जाता था. आजमगढ़ पुलिस की ओर से इस बदमाश पर 50 हजार का इनाम घोषित किया था. बाद में शैलेंद्र सिंह की हत्या के बाद इस पर रखे इनाम की राशि बढ़ाकर एक लाख की गई. इस हत्या के बाद ही यूपी एसटीएफ शंकर की तलाश में लग गई थी.

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