जासूसी एक ऐसा पेशा है जो न केवल चुनौतीपूर्ण है, बल्कि इसमें जोखिम भी शामिल होता है। इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए व्यक्ति का बुद्धिमान और साहसी होना आवश्यक है। जासूसों के काम के दौरान कई बार उनकी जान को खतरा भी होता है। जब हम प्रसिद्ध जासूसों की बात करते हैं, तो अक्सर पुरुषों का नाम ही सामने आता है। लेकिन आज हम एक ऐसी महिला के बारे में चर्चा करेंगे, जो अपने समय की एक प्रमुख जासूस थीं।
जब भी महिला जासूसों का नाम लिया जाता है, तो सबसे पहले माता हारी का नाम आता है। उनकी जासूसी की कला और आकर्षण ने उन्हें इस क्षेत्र में अद्वितीय बना दिया। माता हारी ने कई पुरुष जासूसों को भी पीछे छोड़ दिया।
माता हारी का जन्म 1876 में नीदरलैंड में हुआ, लेकिन उनका पालन-पोषण पेरिस में हुआ। उनका असली नाम गेरत्रुद मार्गरेट जेले था, जबकि माता हारी उनका जासूसी नाम था। वह न केवल एक कुशल जासूस थीं, बल्कि एक बेहतरीन डांसर भी थीं। उनकी खूबसूरती ने कई लोगों को आकर्षित किया। पहली नजर में कोई भी यह नहीं सोच सकता था कि वह एक खतरनाक जासूस हैं।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, जर्मनी ने माता हारी को पैसे के बदले जानकारी साझा करने का प्रस्ताव दिया, जिसके बाद वह जर्मनी की जासूस बन गईं। कुछ लोग उन्हें डबल एजेंट मानते थे, क्योंकि वह दोनों पक्षों की जासूसी करती थीं।
जब माता हारी स्पेन की यात्रा पर थीं, तब इंग्लैंड की खुफिया एजेंसी ने उन्हें फालमाउथ बंदरगाह पर गिरफ्तार कर लिया। उन्हें संदेह था कि वह फ्रांस और ब्रिटेन की जासूसी कर जर्मनी को जानकारी दे रही हैं। इस कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया।
जब उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले, तो उन पर डबल एजेंट होने का आरोप लगाया गया। अंततः फ्रांस में उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी गई।
माता हारी की मृत्यु के बाद भी उनके जीवन से जुड़े रहस्य समाप्त नहीं हुए। उनकी शव को पेरिस के मेडिकल स्कूल को प्रयोग के लिए दिया गया, जबकि उनके चेहरे को एनाटॉमी म्यूजियम में रखा गया। आश्चर्य की बात यह है कि उनका चेहरा म्यूजियम से गायब हो गया और आज तक नहीं मिला।
हालांकि माता हारी ने किसी की हत्या नहीं की, लेकिन उनकी जासूसी के कारण 50,000 फ्रांसीसी सैनिकों की जान गई। उनके जीवन पर 1931 में एक हॉलीवुड फिल्म भी बनी, जिसमें अभिनेत्री ग्रेटा गर्बो ने मुख्य भूमिका निभाई।
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