जोड़ों पर भी प्रदूषण का असर
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जोड़ों पर प्रदूषण का प्रभाव: दिल्ली का धुंध केवल फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि जोड़ों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि वायु प्रदूषण रूमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों के मामलों में वृद्धि का एक प्रमुख कारण बन रहा है। पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म प्रदूषक न केवल फेफड़ों में जाकर स्वास्थ्य पर असर डालते हैं, बल्कि शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को बढ़ाकर जोड़ों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इंडियन रूमेटोलॉजी एसोसिएशन (IRA) के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि प्रदूषण के कारण स्वस्थ लोग भी रूमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। यह अब केवल एक व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक बड़ा संकट बन गया है।
हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित IRACON 2025 सम्मेलन में रूमेटोलॉजिस्टों ने चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए। विशेषज्ञों ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में रूमेटॉइड आर्थराइटिस के मामलों में वृद्धि प्रदूषण का परिणाम है। लंबे समय तक पीएम 2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओज़ोन के संपर्क में रहने से जोड़ों में सूजन, दर्द और विकलांगता जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। एम्स और अन्य प्रमुख अस्पतालों के चिकित्सकों ने पुष्टि की है कि बिना किसी पारिवारिक इतिहास वाले लोग भी प्रदूषण के कारण इस बीमारी का विकास कर रहे हैं। विशेष रूप से युवा और कामकाजी वर्ग में यह तेजी से फैल रही है। यह जानकारी इस बात का संकेत देती है कि प्रदूषण केवल फेफड़ों की बीमारी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शरीर और विशेष रूप से जोड़ों पर भी असर डाल रहा है।
प्रदूषण से जोड़ों को खतरारूमेटॉइड आर्थराइटिस एक दीर्घकालिक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर की अपनी ही टिश्यू, खासकर जोड़ों पर हमला करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण इस बीमारी के बढ़ने में एक महत्वपूर्ण कारण बन गया है। दिल्ली जैसे अत्यधिक प्रदूषित शहरों में रहने वाले लोग लगातार पीएम 2.5 और अन्य जहरीले कणों के संपर्क में आते हैं, जो शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को बढ़ाते हैं। इससे इम्यून सिस्टम अतिसक्रिय हो जाता है और जोड़ों की हड्डियों व मांसपेशियों को नुकसान पहुंचने लगता है।
एम्स, नई दिल्ली में रुमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. उमा कुमार, फोर्टिस अस्पताल में रूमेटोलॉजी के निदेशक डॉ. बिमलेश धर पांडेय, सर गंगाराम अस्पताल में रुमेटोलॉजी विभाग के उपाध्यक्ष डॉ. नीरज जैन, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के प्रोफेसर और रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. पुलिन गुप्ता और इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में रुमेटोलॉजी विभाग की सीनियर कंसल्टेंट तथा सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. रोहिणी हांडा जैसे विशेषज्ञों ने बताया कि प्रदूषण न केवल नए मामलों की संख्या बढ़ा रहा है, बल्कि मौजूदा मरीजों में बीमारी की तीव्रता भी बढ़ा रहा है। हरियाली की कमी, लगातार ट्रैफिक और गंदी हवा रूमेटॉइड आर्थराइटिस का खतरा और बढ़ा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि यह केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है।
बचाव के उपायप्रदूषण वाले क्षेत्रों में मास्क का नियमित उपयोग करें।
घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं और हवा के अच्छे प्रवाह का ध्यान रखें।
धूम्रपान और तंबाकू का सेवन पूरी तरह से बंद करें।
स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम से इम्यूनिटी को बढ़ाएं।
जोड़ों में दर्द या सूजन जैसी समस्याओं पर समय पर डॉक्टर से सलाह लें।
हरी जगहों को बढ़ावा दें और प्रदूषण कम करने के लिए सामूहिक प्रयास करें।
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