भारत की अग्रणी आईवियर रिटेलर कंपनी लेंसकार्ट सॉल्यूशन्स ने सोमवार को शेयर बाजार में फीकी शुरुआत की। कंपनी का शेयर BSE पर 390 रुपये और NSE पर 395 रुपये पर लिस्ट हुआ, जो कि इसके इश्यू प्राइस 402 रुपये से करीब 3% की कम (discount) पर था।
यह लिस्टिंग ऐसे समय में हुई है जब पिछले हफ्ते ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) में तेज गिरावट देखी गई थी। एक समय पर जहां Lenskart का GMP 108 रुपये तक पहुंच गया था, वहीं लिस्टिंग से पहले यह शून्य पर आ गया, यह संकेत देता है कि निवेशकों का भरोसा आखिरी वक्त में कमजोर हुआ।
IPO को मिला जबरदस्त रिस्पॉन्स, लेकिन वैल्यूएशन पर उठे सवालकुल 7,278 करोड़ रुपये के इस IPO को निवेशकों ने हाथों-हाथ लिया था। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने 45 गुना, जबकि नॉन-इंस्टीट्यूशनल और रिटेल निवेशकों ने भी कई गुना सब्सक्रिप्शन किया।
इसके बावजूद, बाजार विशेषज्ञों का मानना था कि आईपीओ का ऊंचा वैल्यूएशन इसकी लिस्टिंग गेन को सीमित कर सकता है और वही हुआ। EV/Sales और EV/EBITDA के आधार पर कंपनी का वैल्यूएशन क्रमशः 10.1x और 68.7x था, जो अंतरराष्ट्रीय दिग्गजों से भी कहीं ज्यादा है।
Ambit Capital ने दिया ‘Sell’ रेटिंगब्रोकरेज फर्म Ambit Capital ने हाल ही में लेंसकार्ट पर रिपोर्ट जारी करते हुए इसे ‘Sell’ रेटिंग दी है और 337 रुपये का टारगेट प्राइस तय किया है, जो इश्यू प्राइस से करीब 16% कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि FY25–FY28 के बीच कंपनी की टॉपलाइन में 20% CAGR ग्रोथ की उम्मीद है, लेकिन इसका कैपेक्स-हेवी बिजनेस मॉडल, कम फ्री कैश फ्लो, और 9% के आसपास का RoCE इसकी वैल्यूएशन को जस्टिफाई नहीं करते।
Ambit के अनुसार, भारत के ऑपरेशन के लिए 55x FY28 EV/EBITDA मल्टीपल ट्रेंट और नायका से 15–30% अधिक है, जबकि रिटर्न रेशियो काफी कम हैं, यानी यह प्राइसिंग ओवरवैल्यूड है।
कमाई में उछाल लेकिन मुनाफे पर दबाववित्त वर्ष 2025 में लेंसकार्ट ने 6,652 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया, जो सालाना आधार पर 32.5% की वृद्धि है। कंपनी का नेट प्रॉफिट 297 करोड़ रुपये रहा, जिसमें से 167 करोड़ रुपये का एकमुश्त गेन इसकी जापानी ब्रांड Owndays की खरीद से जुड़ा था।
अगर इस वन-टाइम गेन को हटाया जाए तो कंपनी का वास्तविक लाभ करीब 130 करोड़ रुपये रहा, यानी नेट मार्जिन 2% से भी कम। वहीं, कंपनी का EBITDA मार्जिन 14.7% तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में सुधार दर्शाता है।
कंपनी का ग्लोबल विस्तार, सिंगापुर, मिडल ईस्ट और साउथ ईस्ट एशिया में, इसके लिए ग्रोथ के नए दरवाजे खोल रहा है।
लॉन्ग टर्म ग्रोथ बरकरार लेकिन...एनालिस्ट्स का मानना है कि लेंसकार्ट का ओमनी चैनल मॉडल, डिजिटल-फर्स्ट रणनीति, और सेंट्रलाइज्ड मैन्युफैक्चरिंग इसे दीर्घकालिक स्केलेबिलिटी देती है। हालांकि, फिलहाल निवेशकों की नजर मार्जिन और प्रॉफिटेबिलिटी पर रहेगी।
अधिकांश ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि कंपनी की लॉन्ग टर्म कहानी मजबूत है, लेकिन शेयर की वर्तमान कीमत पर पहले ही बहुत सारा ग्रोथ “प्राइस-इन” हो चुका है। आने वाले तिमाहियों में कंपनी की एक्सेक्यूशन क्षमता ही तय करेगी कि यह शेयर निवेशकों को वाकई में “क्लियर विजन” दे पाएगा या नहीं।
एंजल वन के सीनियर एनालिस्ट वकार जावेद खान ने कहा कि कंपनी के फंडामेंटल्स फिलहाल थोड़े कमजोर हैं और वैल्यूएशन ऊंचा होने की वजह से लंबी अवधि के लिए इस स्टॉक को होल्ड करना जोखिम भरा हो सकता है।
SP Tulsian Investment Advisers की आईपीओ विशेषज्ञ गीतांजलि केडिया ने लिस्टिंग के पहले सलाह दी थी कि अगर प्रीमियम न मिले, तब भी एग्जिट करना बेहतर रहेगा।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
यह लिस्टिंग ऐसे समय में हुई है जब पिछले हफ्ते ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) में तेज गिरावट देखी गई थी। एक समय पर जहां Lenskart का GMP 108 रुपये तक पहुंच गया था, वहीं लिस्टिंग से पहले यह शून्य पर आ गया, यह संकेत देता है कि निवेशकों का भरोसा आखिरी वक्त में कमजोर हुआ।
IPO को मिला जबरदस्त रिस्पॉन्स, लेकिन वैल्यूएशन पर उठे सवालकुल 7,278 करोड़ रुपये के इस IPO को निवेशकों ने हाथों-हाथ लिया था। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने 45 गुना, जबकि नॉन-इंस्टीट्यूशनल और रिटेल निवेशकों ने भी कई गुना सब्सक्रिप्शन किया।
इसके बावजूद, बाजार विशेषज्ञों का मानना था कि आईपीओ का ऊंचा वैल्यूएशन इसकी लिस्टिंग गेन को सीमित कर सकता है और वही हुआ। EV/Sales और EV/EBITDA के आधार पर कंपनी का वैल्यूएशन क्रमशः 10.1x और 68.7x था, जो अंतरराष्ट्रीय दिग्गजों से भी कहीं ज्यादा है।
Ambit Capital ने दिया ‘Sell’ रेटिंगब्रोकरेज फर्म Ambit Capital ने हाल ही में लेंसकार्ट पर रिपोर्ट जारी करते हुए इसे ‘Sell’ रेटिंग दी है और 337 रुपये का टारगेट प्राइस तय किया है, जो इश्यू प्राइस से करीब 16% कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि FY25–FY28 के बीच कंपनी की टॉपलाइन में 20% CAGR ग्रोथ की उम्मीद है, लेकिन इसका कैपेक्स-हेवी बिजनेस मॉडल, कम फ्री कैश फ्लो, और 9% के आसपास का RoCE इसकी वैल्यूएशन को जस्टिफाई नहीं करते।
Ambit के अनुसार, भारत के ऑपरेशन के लिए 55x FY28 EV/EBITDA मल्टीपल ट्रेंट और नायका से 15–30% अधिक है, जबकि रिटर्न रेशियो काफी कम हैं, यानी यह प्राइसिंग ओवरवैल्यूड है।
कमाई में उछाल लेकिन मुनाफे पर दबाववित्त वर्ष 2025 में लेंसकार्ट ने 6,652 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया, जो सालाना आधार पर 32.5% की वृद्धि है। कंपनी का नेट प्रॉफिट 297 करोड़ रुपये रहा, जिसमें से 167 करोड़ रुपये का एकमुश्त गेन इसकी जापानी ब्रांड Owndays की खरीद से जुड़ा था।
अगर इस वन-टाइम गेन को हटाया जाए तो कंपनी का वास्तविक लाभ करीब 130 करोड़ रुपये रहा, यानी नेट मार्जिन 2% से भी कम। वहीं, कंपनी का EBITDA मार्जिन 14.7% तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में सुधार दर्शाता है।
कंपनी का ग्लोबल विस्तार, सिंगापुर, मिडल ईस्ट और साउथ ईस्ट एशिया में, इसके लिए ग्रोथ के नए दरवाजे खोल रहा है।
लॉन्ग टर्म ग्रोथ बरकरार लेकिन...एनालिस्ट्स का मानना है कि लेंसकार्ट का ओमनी चैनल मॉडल, डिजिटल-फर्स्ट रणनीति, और सेंट्रलाइज्ड मैन्युफैक्चरिंग इसे दीर्घकालिक स्केलेबिलिटी देती है। हालांकि, फिलहाल निवेशकों की नजर मार्जिन और प्रॉफिटेबिलिटी पर रहेगी।
अधिकांश ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि कंपनी की लॉन्ग टर्म कहानी मजबूत है, लेकिन शेयर की वर्तमान कीमत पर पहले ही बहुत सारा ग्रोथ “प्राइस-इन” हो चुका है। आने वाले तिमाहियों में कंपनी की एक्सेक्यूशन क्षमता ही तय करेगी कि यह शेयर निवेशकों को वाकई में “क्लियर विजन” दे पाएगा या नहीं।
एंजल वन के सीनियर एनालिस्ट वकार जावेद खान ने कहा कि कंपनी के फंडामेंटल्स फिलहाल थोड़े कमजोर हैं और वैल्यूएशन ऊंचा होने की वजह से लंबी अवधि के लिए इस स्टॉक को होल्ड करना जोखिम भरा हो सकता है।
SP Tulsian Investment Advisers की आईपीओ विशेषज्ञ गीतांजलि केडिया ने लिस्टिंग के पहले सलाह दी थी कि अगर प्रीमियम न मिले, तब भी एग्जिट करना बेहतर रहेगा।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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