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अहमदाबाद: सैकड़ों घरों पर रातों रात चला बुलडोज़र, किस आधार पर हो रही है ये कार्रवाई, क्या कह रही है पुलिस?

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BBC चंडोला तालाब इलाक़े में रहने वाली एक महिला का कहना है कि अब उसके पास कोई ठिकाना नहीं है

अहमदाबाद के चंडोला तालाब इलाक़े में कथित बांग्लादेशियों के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई की गई है, जहां बड़े पैमाने पर डिमोलिशन ड्राइव चलाई गई है.

किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने इस इलाके के सरोजनगर में पैदल गश्त शुरू कर दी है.

अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त को बताया, "अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने सियासतनगर बंगाल वास में घरों का सर्वे किया था. इस सर्वे में पाया गया कि उनमें से कुछ घर तालाब में मिट्टी डालकर बनाए गए हैं."

"एएमसी ही यहां पर डिमोलिशन ड्राइव चला रही है इसके लिए कुल 50 जेसीबी और 2 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. यहां ज़्यादातर बांग्लादेशी ही आकर रहते थे."

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image BBC पुलिस के मुताबिक़ कई लोगों ने तालाब में मिट्टी डालकर अवैध तौर पर अपना मकान बना लिया था

यह में शुरू की गई थी.

बीबीसी गुजराती की टीम देर रात घटनास्थल पर पहुंची. बीबीसी गुजराती संवाददाता रॉक्सी गागडेकर छारा का कहना है कि चंडोला तालाब के आसपास के इलाक़े में मुसलमान रहते हैं.

वे कहते हैं, "आमतौर पर सरकारी दस्तावेज़ों के मुताबिक़, इस इलाक़े में ज़्यादातर बांग्लादेशी लोग रहते हैं. ऐसे में इलाक़े में अफ़रातफ़ी मच गई. देर रात से ही यहां रहने वाले लोग अपने मकान खाली करने लगे. प्रशासन ने लोगों से कहा कि थोड़ी देर में मकान गिरा दिए जाएँगे. यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर बुलडोज़र खड़े हैं."

रॉक्सी गागडेकर छारा का कहना है कि इन लोगों ने देर रात ही अपना घर छोड़ना शुरू कर दिया था.

बुलडोज़र कार्रवाई रोकने की याचिका खारिज image Gujarat High Court गुजरात हाई कोर्ट ने डिमोलिशन रोकने की याचिका को ख़ारिज कर दिया (फ़ाइल फ़ोटो)

इस इलाक़े में रहने वाले कुछ लोगों ने तोड़फोड़ की इस कार्रवाई को रोकने के लिए गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की.

हालाँकि हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है, इसलिए डिमोलिशन की प्रक्रिया जारी है.

चंडोला तालाब के आस-पास रहने वाले लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाली बीना जाधव ने बीबीसी से कहा, "हाई कोर्ट ने भले ही हमारी अर्जी खारिज कर दी हो, लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इनमें से जो लोग भारतीय नागरिक हैं और अगर वो सरकार से गुज़ारिश करते हैं तो उन्हें मकान देने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए."

इस याचिका के बारे में वकील आनंद याग्निक ने पत्रकारों से कहा, "चंडोला तालाब के आसपास रहने वाले लोगों में कुछ बांग्लादेशी भी हो सकते हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता. अगर कोई बांग्लादेशी है, तो मैं मानता हूं कि उसे सम्मान सहित कानूनी तरीके से वापस बांग्लादेश भेजा जाना चाहिए."

"लेकिन जिस तरह से गुजरात सरकार ने पिछले चार दिनों में 1200-1500 लोगों को उठा लिया है, उसके बाद 90 फ़ीसदी को छोड़ दिया है, वो सही नहीं है. क्योंकि वो भारत के मुस्लिम नागरिक हैं."

"अब उनके घरों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. रिहा किए गए लोगों के घरों को भी तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. ये बोलकर कार्रवाई हो रही है कि ये घर अवैध हैं."

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आनंद याग्निक कहते हैं, "इस मामले के तीन पहलू हैं. पहला, अगर यह साबित हो जाता है कि वे बांग्लादेशी हैं, तो क्या उसका घर तोड़ा जाना चाहिए या नहीं? दूसरा, जो लोग डर की वजह से बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश भाग गए हैं और उनके घर बंद हैं, क्या उन्हें तोड़ा जाना चाहिए या नहीं?"

"और तीसरा, 40 साल से गुजरात के चंडोला तालाब के पास रह रहे सियासतनगर के 26 निवासियों ने गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, भले ही हम तालाब के किनारे अवैध रूप से रह रहे हों, हमें नोटिस दिया जाना चाहिए और उचित समय के बाद हमारे घरों को तोड़ दिया जाना चाहिए. हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया."

हालाँकि, इस याचिका को गुजरात उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है.

'मुझे नहीं पता कि अब हम कहां जाएंगे' image BBC कई लोगों का कहना है कि वो दशकों से इस इलाक़े में रह रहे हैं

इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों में काफ़ी गुस्सा था. उन्होंने बीबीसी गुजराती को बताया कि उनका जन्म यहीं हुआ है और उन्हें वर्षों से सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है.

एक शख्स ने कहा, "हम यहां सब्ज़ियां बेचते हैं. हम 30-35 साल से यहां रह रहे हैं. अब हम अपना सामान किसी रिश्तेदार के घर छोड़कर जा रहे हैं."

एक महिला ने बीबीसी गुजराती को बताया, "हम 40-45 साल से यहां रह रहे हैं. कोई हमारी मदद नहीं कर रहा है. हमें यह भी नहीं पता कि हम कहां जाएंगे."

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें तीन गुजराती भी शामिल थे.

हमले के बाद, भारत सरकार ने पाकिस्तान को 'दोषी ठहराया' और सिंधु जल संधि को निलंबित करने सहित पाकिस्तानी नागरिकों को दिए जाने वाले 14 प्रकार के वीज़ा रद्द कर दिए.

इस कार्रवाई के बाद, शनिवार सुबह अहमदाबाद और सूरत में स्थानीय पुलिस ने कथित बांग्लादेशियों सहित 500 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया, जिनके बारे में पुलिस ने दावा किया कि ये अवैध रूप से भारत में घुस आए थे.

image PAVAN JAISHVAL चंडोला तालाब इलाक़े में चल रही डिमोलिशन की कार्रवाई

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गृह सचिव ने सभी राज्यों को अपने राज्य में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने के लिए उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.

इस निर्देश के बाद, गुजरात पुलिस ने अवैध रूप से गुजरात में रह रहे 'बांग्लादेशियों' और अन्य 'अवैध' विदेशियों को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हिरासत में लिया था, जिनमें पुरुष और महिलाएं भी शामिल थीं.

यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुआ. इस वायरल वीडियो में दोनों तरफ पुलिसकर्मियों की कतारें थीं और बीच में बड़ी संख्या में हिरासत में लिए गए लोग, जो पुलिस काफिले के बीच में चलते नज़र आए.

गुजरात में अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट और अन्य स्थानों पर पुलिस अभियान चलाए गए. जिसमें कथित तौर पर अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों सहित क़रीब एक हज़ार लोगों को हिरासत में लिया गया.

अहमदाबाद के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) भरत पटेल ने 27 अप्रैल को मीडिया को बताया, "क़रीब 900 लोगों को अहमदाबाद में पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच लाया गया था. इनमें से क़रीब 600 भारत के नागरिक थे, जिन्हें रिहा कर दिया गया है."

एसीपी भरत पटेल ने कहा, "अब तक 104 बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की गई है. यह संख्या बढ़ने की संभावना है. बांग्लादेशी नागरिकों में महिलाओं की संख्या अधिक है."

अहमदाबाद के चंडोला में कथित बांग्लादेशी बस्ती image PAVAN JAISHVAL चंडोला तालाब इलाक़े में व्यापक पैमाने पर डिमोलिशन की कार्रवाई की गई है

अहमदाबाद में वर्तमान में बांग्लादेशी बताकर हिरासत में लिए गए कई लोग चंडोला तालाब के पास रहते थे।

अहमदाबाद के दानिलिमडा क्षेत्र में स्थित चंडोला तालाब लगभग 1200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुआ है.

जब भी अहमदाबाद में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों, विशेषकर बांग्लादेशी नागरिकों के मुद्दे पर चर्चा होती है, तो दानिलिमडा, शाह आलम, मणिनगर और इसनपुर के बीच स्थित चंडोला तालाब के आसपास की बस्तियों का नाम अवश्य ही चर्चा में आता है.

पुलिस पहले भी वहां तलाशी अभियान चला चुकी है. पिछले वर्ष 24 अक्टूबर को गुजरात पुलिस ने एक अभियान में लगभग 48 लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें बांग्लादेश भेजने की प्रक्रिया शुरू की.

पुलिस ने उस समय दावा किया था कि ये सभी लोग फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि के आधार पर अहमदाबाद के चंडोला तालाब क्षेत्र में अवैध घरों में रह रहे थे.

चंडोला क्षेत्र में कुछ स्वैच्छिक संगठन काम कर रहे हैं.

चंडोला तालाब क्षेत्र के लोगों के साथ काम करने वाली और गुजरात की पर्सनालिटी स्ट्रगल कमेटी की संस्थापक बीनाबेन जाधव ने पिछले साल बीबीसी गुजराती संवाददाता रॉक्सी गगडेकर से कहा था, "पुलिस को जांच करनी चाहिए, बांग्लादेशी नागरिकों को ढूंढना चाहिए और उन्हें निर्वासित करना चाहिए, इसमें कोई संदेह नहीं है. लेकिन बांग्लादेशी होने के आरोप में उनके नाम पर किसी को भी गिरफ्तार करना सही नहीं है."

उन्होंने कहा, ''चंडोला तालाब क्षेत्र में कई लोग रहते हैं जो वर्षों से बंगाल के विभिन्न गांवों से यहां आते रहे हैं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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