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'पहलगाम हमले के तीनों आतंकवादी मार दिए गए हैं'- 'ऑपरेशन महादेव' पर अमित शाह

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ANI गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बताया है कि पहलगाम हमले में शामिल चरमपंथियों को मार दिया गया है

लोकसभा में पहलगाम हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा का मंगलवार को दूसरा दिन है. इस चर्चा की शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह ने की.

चर्चा की शुरुआत में ही गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में घोषणा की कि पहलगाम हमले में शामिल तीनों चरमपंथियों को सुरक्षाबलों ने 'ऑपरेशन महादेव' में मार दिया है.

गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा की शुरुआत करते हुए सदन में कहा कि 'पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की हत्या की गई, धर्म पूछकर उनके परिवार के सामने मारा गया, बड़ी बर्बरता के साथ यह किया गया, उसकी घोर निंदा करता हूं.'

'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि ऐसी नृशंस घटना पर चर्चा और चिंतन होना चाहिए, साथ ही ऐसा आगे न हो इसकी व्यवस्था की भी चिंता होनी चाहिए.

'ऑपरेशन महादेव' पर अमित शाह ने क्या कहा? image BBC अमित शाह ने लोकसभा में बयान दिया है

इसी दौरान अमित शाह ने कहा कि वह सोमवार को हुए 'ऑपरेशन महादेव' की जानकारी भी देना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, "कल ऑपरेशन महादेव में सुलैमान उर्फ फ़ैसल जट, अफ़गान और जिबरान नाम के आतंकियों को सेना, सीआरपीएफ़ और पुलिस के संयुक्त अभियान में मार दिया गया है. सुलेमान लश्कर ए तैयबा का कमांडर था जो पहलगाम और गगनगीर हमले में शामिल था. अफ़गान और जिबरान भी लश्कर ए तैयबा का 'ए' ग्रेड का आतंकी था."

"बैसरन घाटी के हमले में ये तीनों आतंकी शामिल थे और तीनों को मार दिया गया है. सेना के पैरा फ़ॉर, सीआरपीएफ़ और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों को बहुत-बहुत साधुवाद देना चाहता हूं. तीनों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया है."

किस तरह से ऑपरेशन अंजाम तक पहुंचा?

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पहलगाम हमले के बाद चरमपंथियों की धरपकड़ के लिए हुई पूरी कार्रवाई के बारे में विस्तार से बताया है. जो इस तरह है-

"ऑपरेशन महादेव की शुरुआत 22 मई 2025 को हुई थी. पहलगाम में जिस दिन हत्या हुई, उसी दिन रात को जम्मू-कश्मीर में एक सुरक्षा मीटिंग की गई थी.

एक बजे हमला हुआ और मैं साढ़े पांच बजे श्रीनगर में उतर चुका था. 23 अप्रैल को एक सुरक्षा मीटिंग की गई. सबसे पहले उसमें निर्णय किया गया कि जो नृशंस हत्यारे हैं, वे देश छोड़कर न भाग पाएं.

22 मई को आईबी के पास एक ह्यूमन इंटेल आई, जिसमें ढांचीगाम क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली. मई से 22 जुलाई तक इस सूचना को पुख्ता करने के लिए लगातार प्रयास किए गए.

कुल मिलाकर कल जो ऑपरेशन हुआ इसमें हमारे निर्दोष लोगों को मारने वाले तीनों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया."

image ANI गृह मंत्री अमित शाह ने 'ऑपरेशन महादेव' की पूरी जानकारी लोकसभा में दी है

"ये तो सिर्फ़ आशंका थी कि इन्होंने घटना को अंजाम दिया लेकिन एनआईए ने पहले ही इनको पनाह देने वालों को, खाना पहुंचाने वालों को पकड़ के रखा था.

हमने कोई जल्दबाज़ी नहीं की. हमने आतंकी घटनास्थल से जो कारतूस मिले उसकी एफ़एसएल रिपोर्ट पहले से तैयार करवा के रखी थी. कल जब ये तीन आतंकी मारे गए इनकी तीन राइफ़लें मिलीं, जो कारतूस मिले वे इन्हीं राइफ़लों के थे.

(विपक्ष के हंगामे के बाद) मैं तो अपेक्षा करता था कि जब यह सूचना सुनेंगे तब पक्ष-विपक्ष में ख़ुशी की लहर दौड़ जाएगी लेकिन इनके चेहरे पर तो स्याही पड़ गई. आतंकवादी मारे गए आपको इसका भी आनंद नहीं है. आप आतंकवादियों का धर्म देखकर दुखी मत होइए.

1055 लोगों से 3000 घंटों से अधिक समय की पूछताछ की गई. इसके आधार पर स्केच बनाया गया.

ढूंढते-ढूंढते उन दो लोगों की पहचान हुई जिन्होंने आतंकवादियों को रहने की जगह दी थी. उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. वे अभी हिरासत में हैं."

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चर्चा के पहले दिन क्या-क्या हुआ image BBC राजनाथ सिंह का लोकसभा में दिया गया बयान

वहीं 'ऑपरेशन सिंदूर' पर सोमवार को लोकसभा में चर्चा का पहला दिन था जिसकी शुरुआत देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की.

उन्होंने कहा कि "पाकिस्तान अगर फिर कोई हरकत करता है तो हम और भी कठोर कार्रवाई करेंगे. पाकिस्तान के मन में ग़लतफ़हमी थी, उसे हमने ऑपरेशन सिंदूर से दूर कर दिया. अगर कुछ बचा होगा तो उसे भी दूर कर देंगे."

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "पाकिस्तान के साथ कोई संघर्ष नहीं है. यह सभ्यता बनाम बर्बरता का संघर्ष है. अगर कोई हमारी संप्रभुता को नुक़सान पहुंचाएगा तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा."

राजनाथ सिंह ने कहा-

  • हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, युद्ध की नहीं. हम आज भी कहते हैं कि समृद्ध पाकिस्तान हमारे हित में है.
  • नरेंद्र मोदी सरकार का रुख़ स्पष्ट है- बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते.
  • पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पागलपन नहीं, सोची-समझी साज़िश का हिस्सा है. यह एक टूलकिट है, जिसे पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने एक नीति के तहत अपनाया हुआ है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस चर्चा में भाग लिया और भारत-पाकिस्तन के बीच सीज़फ़ायर में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के दावों को पूरी तरह से ख़ारिज़ कर दिया.

एस. जयशंकर ने कहा-

  • 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई.
  • 9 मई को अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर ये जानकारी दी कि अगले कुछ घंटों में पाकिस्तान बड़ा हमला कर सकता है.
  • 25 अप्रैल से लेकर 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू होने तक, कई फोन कॉल और बातचीत हुईं. मेरे स्तर पर 27 कॉल आई, प्रधानमंत्री मोदी के स्तर पर लगभग 20 कॉल आई
  • प्रधानमंत्री ने अपने जवाब में यह स्पष्ट कर दिया कि अगर ऐसा कोई हमला होता है, तो हमारी ओर से इसका उचित जवाब दिया जाएगा.
  • सीमा पार आतंकवाद की चुनौती जारी है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने भारत का एक चेहरा पेश किया है.
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विपक्ष ने सरकार को घेरा image BBC असदुद्दीन ओवैसी का लोकसभा में दिया गया बयान

दूसरी ओर विपक्ष ने सीज़फ़ायर कराने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर सवाल उठाए. इस दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, दीपेंद्र हुड्डा, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी और शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत के बयानों की चर्चा रही.

गौरव गोगोई ने कहा, "हम सरकार के दुश्मन नहीं हैं, हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में आज भी सरकार के साथ हैं, लेकिन सच्चाई सामने आनी चाहिए. हमें उम्मीद थी कि गृह मंत्री नैतिक जिम्मेदारी लेंगे और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) पूरे घटनाक्रम की जानकारी देंगे."

"हम सब एकजुट हुए और पूरा समर्थन पीएम मोदी को दिया. पूरा देश पीएम मोदी जी के साथ था लेकिन 10 मई को सूचना आती है कि सीजफ़ायर हो गया. क्यों हुआ? पहले 21 टार्गेट चुने गए थे और फिर नौ क्यों हुए?"

"पाकिस्तान वास्तव में अगर घुटने टेकने के लिए तैयार था, तो आप क्यों रुके, आप क्यों झुके. किसके सामने आपने सरेंडर किया?"

"अमेरिका के राष्ट्रपति 26 बार कह चुके हैं कि हमने जंग रुकवाई. राष्ट्रपति ट्रंप यह कह चुके हैं कि पांच-छह जेट गिरे हैं. आप बताइए कि कितने जेट गिरे?"

वहीं एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया कि जब पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने कहा था कि "पानी और ख़ून एकसाथ नहीं बह सकते" और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कई प्रतिबंध लगाए थे, तो 14 सितंबर को एशिया कप में भारत की क्रिकेट टीम पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कैसे खेलेगी?

उन्होंने कहा, ''जिन इंसानों को बैसरन की वादियों में मारा गया था. पाकिस्तान से ट्रेड बंद है. वहां के प्लेन यहां नहीं आ सकते. जल क्षेत्र में जहाज़ नहीं आ सकता है. आपका ज़मीर ज़िंदा क्यों नहीं है. किस सूरत से आप पाकिस्तान से क्रिकेट खेलेंगे.''

ओवैसी ने यह भी कहा कि उनका अपना ज़मीर भारत और पाकिस्तान के बीच वह क्रिकेट मैच देखने की इजाज़त नहीं देता.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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