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सदियों पुराना वह शिव मंदिर जो कंबोडिया और थाईलैंड के बीच संघर्ष की वजह बना

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Getty Images कंबोडिया और थाईलैंड की सीमा पर स्थित प्रेह विहेयर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है.

थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर चल रही सैन्य झड़प में अब तक कम से कम 16 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग घायल भी हुए हैं.

थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर गुरुवार सुबह से ही दोनों देशों के सैनिकों के बीच गोलीबारी हो रही है. थाईलैंड ने कहा है कि उसने कंबोडिया के सैन्य ठिकाने पर हवाई बमबारी की है.

इस विवाद की जड़ें सौ साल से भी ज़्यादा पुरानी हैं, जब फ़्रांसीसी क़ब्ज़े के बाद कंबोडिया की सीमाएं तय की गई थीं.

हालात 2008 में तब तनावपूर्ण हो गए, जब कंबोडिया ने एक विवादित क्षेत्र में स्थित 11वीं सदी के मंदिर को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के तौर पर रजिस्टर कराने की कोशिश की.

थाईलैंड ने इसका तीखा विरोध किया. इसके बाद दोनों देशों के बीच कई बार झड़पें हुईं, जिनमें सैनिकों और आम नागरिकों की मौतें हुईं.

दोनों के बीच तनाव मई में तब और बढ़ गया, जब एक झड़प में कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई. इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते पिछले एक दशक में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए.

पिछले दो महीनों में दोनों देशों ने एक-दूसरे पर सीमा संबंधी पाबंदियां लगाई हैं. कंबोडिया ने थाईलैंड से फल-सब्ज़ी जैसी चीज़ों के आयात पर रोक लगा दी, साथ ही बिजली और इंटरनेट सेवाएं लेना भी बंद कर दिया.

पिछले कुछ हफ्तों में दोनों देशों ने सीमा पर सैनिकों की तैनाती भी बढ़ा दी है.

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मंदिर का इतिहास क्या है? image Getty Images यह मंदिर कंबोडियाई नागरिकों के लिए धर्म और आस्था का केंद्र है

यूनेस्को के मुताबिक़, कंबोडिया के मैदान पर ऊँचे पठार के किनारे स्थित प्रेह विहेयर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इस मंदिर में कई धार्मिक निर्माण हुए हैं.

इसका निर्माण कार्य मुख्य रूप से 11वीं सदी में हुआ था. हालांकि इसकी जटिल ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 9वीं सदी तक जाती है, जब यहां एक तपस्वी आश्रम की स्थापना की गई थी.

यह जगह ठीक से संरक्षित है. ये एक दुर्गम स्थान पर है.

यह मंदिर अपनी बेहतरीन वास्तुकला का नमूना है. इसे नक्काशीदार पत्थरों से सजाया गया है, जो काफ़ी उत्कृष्ट माना जाता है.

प्रेह विहेयर मंदिर विवाद पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने 15 जून 1962 में अपना फ़ैसला सुनाया था.

कंबोडिया ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में शिकायत की थी कि थाईलैंड ने प्रेह विहेयर मंदिर के खंडहरों से घिरे उसके क्षेत्र के एक हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया है.

यह स्थान कंबोडियाई नागरिकों के लिए धर्म और आस्था का केंद्र है.

कंबोडिया ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से मांग की थी कि वह इस मंदिर पर अधिकार का फ़ैसला उसे दे और थाईलैंड को साल 1954 से वहां तैनात अपने सैनिकों को हटाने का आदेश दे.

थाईलैंड ने कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर शुरुआती आपत्तियां दर्ज कीं, जिन्हें न्यायालय ने 26 मई 1961 को ख़ारिज कर दिया.

15 जून 1962 को अंतिम निर्णय में न्यायालय ने कहा कि साल 1904 की फ़्रैंको-सायामी संधि में विवादित क्षेत्र को वाटरशेड लाइन के अनुसार निर्धारित किया गया था और एक संयुक्त सीमा-निर्धारण आयोग के बनाए नक्शे में मंदिर कंबोडिया की सीमा में दिखाया गया था.

थाईलैंड ने यह तर्क दिया कि इस नक्शे को मानना ज़रूरी नहीं है. उसने कभी इस नक्शे को स्वीकार नहीं किया, या फिर अगर स्वीकार किया तो ग़लत धारणा में किया.

हालांकि न्यायालय ने पाया कि थाईलैंड ने वास्तव में उस नक्शे को स्वीकार किया था और यह निष्कर्ष निकाला कि मंदिर कंबोडियाई क्षेत्र में स्थित है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि थाईलैंड को वहां तैनात अपनी सैन्य या पुलिस टुकड़ियों को हटाना होगा और साल 1954 के बाद मंदिर से हटाया गया सबकुछ कंबोडिया को लौटाना होगा.

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थाईलैंड ने क्यों दी चेतावनी? image Getty Images थाईलैंड ने चेतावनी दी है कि वर्तमान संघर्ष युद्ध की ओर बढ़ सकता है

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच ताज़ा तनाव ऐसे समय में शुरू हुआ है जब एक दिन पहले ही सीमा पर एक लैंडमाइन विस्फोट में एक थाई सैनिक घायल हुआ था, जिसके बाद थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया.

उसके बाद गुरुवार को थाईलैंड और कंबोडिया ने एक दूसरे पर पहले गोली चलाने का आरोप लगाया है.

थाईलैंड का दावा है कि यह संघर्ष कंबोडिया की सेना द्वारा सीमा के निकट थाई सैनिकों की निगरानी के लिए ड्रोन तैनात करने से शुरू हुआ.

थाईलैंड ने चेतावनी दी है कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहा संघर्ष 'युद्ध की ओर बढ़ सकता है.' इस संघर्ष की वजह से हज़ारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.

थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई ने कहा कि लड़ाई में अब भारी हथियार भी शामिल हो गए हैं. यह दोनों देशों की सीमा पर 12 इलाक़ों तक फैल गई है.

थाईलैंड ने कंबोडिया पर नागरिक क्षेत्रों में गोलीबारी करने का भी आरोप लगाया है और उसके रॉकेटों के दायरे में आने वाले सभी गांवों को ख़ाली करा दिया है.

कंबोडिया ने भी थाईलैंड पर क्लस्टर हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगाया है. आम नागरिकों पर इनके असर की वजह से दुनिया के ज़्यादातर हिस्सों में क्लस्टर हथियारों पर प्रतिबंध है. हालांकि थाईलैंड ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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दुनियाभर के देशों ने की शांति की अपील

अमेरिका ने दोनों देशों को 'शत्रुता को तत्काल समाप्त करने, नागरिकों की सुरक्षा और संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान' की अपील की है.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता टॉमी पिगोट ने एक नियमित मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "हम थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर बढ़ती हिंसा से बहुत चिंतित हैं और नागरिकों को नुक़सान पहुंचने की ख़बरों से आहत हैं."

चीन के कंबोडिया और थाईलैंड के साथ राजनीतिक और रणनीतिक संबंध हैं और उसने कहा कि वह इस संघर्ष को लेकर 'गहरी चिंता' में है.

चीन ने उम्मीद जताई है कि दोनों पक्ष बातचीत और परामर्श के माध्यम से मुद्दों को सुलझा लेंगे.

ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ और फ़्रांस ने दोनों देशों से शांति की अपील की है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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