"मुझे हुमैरा के साथ काम करने का अनुभव है, वो एक बहुत अच्छी और समझदार लड़की थी." यह कहना है पाकिस्तान की मशहूर मॉडल वनीज़ा अहमद का.
बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने बताया कि शोबिज़ इंडस्ट्री में बहुत से लोग किसी न किसी वजह से ही संपर्क करते हैं, लेकिन हुमैरा का मामला अलग था.
बीते मंगलवार की रात कराची से यह खबर सामने आई थी कि मॉडल और अभिनेत्री हुमैरा असग़र अली डिफ़ेंस हाउसिंग अथॉरिटी में अपने फ्लैट में मृत पाई गई हैं.
पुलिस के मुताबिक़, अभिनेत्री का शव 'कई दिन पुराना' था, लेकिन अब तक यह पता नहीं चल सका है कि उनकी मौत की वजह क्या थी.
हुमैरा की मौत के बाद पूरे पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर अलग-अलग राय भी सामने आ रही हैं, हालांकि उनकी मौत कैसे हुई, यह अब तक एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है.
ऐसे में बीबीसी ने पाकिस्तान की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के कुछ बड़े नामों से बात की और यह जानने की कोशिश की कि वो हुमैरा की मौत को लेकर क्या सोच रहे हैं.
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पाकिस्तान की मशहूर मॉडल वनीज़ा अहमद ने बीबीसी उर्दू से कहा कि वो हुमैरा के मामले पर सीधे कोई राय नहीं देंगी, लेकिन आमतौर पर चूंकि वो इस फ़ील्ड में काम करने वाली लड़कियों की समस्याओं से परिचित हैं, इसलिए समझती हैं कि इस वक़्त बात करना बहुत ज़रूरी है.
उन्होंने कहा,"शोबिज़ इंडस्ट्री में बहुत से लोग किसी न किसी वजह से ही संपर्क करते हैं, लेकिन हुमैरा का मामला अलग था. वो हालचाल जानने के लिए भी अक्सर संपर्क करती थी और मुझसे बहुत इज़्ज़त से पेश आती थी."
वनीज़ा कहती हैं,"हमारी इंडस्ट्री में असल मसला काम न मिलना, कम मिलना या काम के बदले पैसे नहीं मिलना नहीं, बल्कि आपसी संपर्क का है. यह केवल शोबिज़ इंडस्ट्री की ही नहीं, बल्कि हर जगह की समस्या है कि लोग काम को आपसी संबंधों और मेल-मिलाप पर प्राथमिकता देने लगे हैं."
वो कहती हैं, "कोविड ने हमें सिखाया कि दुनिया की चीज़ों से ज़्यादा अहम यह है कि आप ज़िंदगी को कैसे जी रहे हैं. मेरे ख़्याल में हमें अपने रहने के ढंग को और बेहतर बनाना होगा. आजकल के दौर में एक-दूसरे के संपर्क में रहना, ख़ासतौर पर जूनियर्स के साथ, पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है."

एक और मशहूर मॉडल नादिया हुसैन ने बीबीसी उर्दू से बात करते हुए हुमैरा की मौत को बेहद अफ़सोसजनक बताया.
वह कहती हैं,"पाकिस्तान जैसे देश में शोबिज़ से संबंध रखने वाले किसी कलाकार के लिए लंबे समय तक तन्हा रहना और यह उम्मीद करना कि उन्हें काम मिलता रहेगा और पैसा आता रहेगा, यह हक़ीक़त से बिल्कुल अलग बात है."
नादिया हुसैन के मुताबिक,"चैनलों में काम करने वाले लोगों को लगातार इनकम मिलती है, लेकिन केवल एक्टिंग और मॉडलिंग के ज़रिए लंबे समय तक लगातार आमदनी की बात सोचना बिल्कुल ग़लत है."
ड्रामा सीरियल 'धुआं' और फिर 'बुलबुले' से शोहरत पाने वाले अभिनेता नबील ने भी बीबीसी उर्दू से बात करते हुए हुमैरा की मौत पर गहरे दुख का इज़हार किया और सीनियर के तौर पर शोबिज़ कम्युनिटी को एक-दूसरे का हालचाल लेते रहने की सलाह दी.
"ज़रूरी नहीं कि हम केवल इंडस्ट्री के सीनियर और असरदार लोगों से ही मेलजोल रखें. यह बहुत ज़रूरी है कि नए आने वाले कलाकारों पर भी नज़र रखी जाए, कराची में आर्ट्स काउंसिल और लाहौर में अल हमरा जैसी जगहें मौजूद हैं, जहां कलाकारों को किसी न किसी बहाने मिलना चाहिए ताकि एक-दूसरे की समस्याओं को जान सकें. आयशा आपा के बाद हुमैरा की मौत से हमारी आंखें अब खुल जानी चाहिए."
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'क़ुद्दूसी साहब की बेवा' जैसा मशहूर ड्रामा बनाने वाले डायरेक्टर फ़सीह बारी ख़ान कहते हैं कि त्रासदी यह है कि हम तुरंत हर चीज़ को तन्हाई या अकेले रहने से जोड़ देते हैं. हम यह क्यों भूल जाते हैं कि कई लोग तन्हा रहते हैं मगर मज़बूती से जीते हैं? यह बात भी ठीक नहीं कि केवल इसलिए किसी की तन्हाई को ज़िम्मेदार ठहराया जाए कि वो औरत है और अकेली रहती है."
फ़सीह बारी ने कहा,"वो लड़की अपने सपने लेकर एक शहर से दूसरे शहर आई थी. ख़ुद को मनवाने निकली थी और वो आख़िर वक़्त तक हालात से लड़ी."
"हमारी त्रासदी यह है कि हम कलाकारों से मोहब्बत तो करते हैं, उन जैसे कपड़े पहनते हैं मगर जब वो मुश्किल में होते हैं तो उन्हें अकेला छोड़ देते हैं."
अभिनेत्री और मॉडल जिया अली ने भी दूसरे कलाकारों की तरह हुमैरा के मामले पर सीधे बात करने से तो गुरेज़ किया लेकिन उन्होंने एक और अहम बात उठाई.
जिया अली ने कहा,"मैं नहीं मानती कि शोबिज़ कलाकार काम न मिलने की वजह से मानसिक दबाव में आ जाते हैं. हां, यह ज़रूर होता है कि वो ज़्यादा काम होने की वजह से अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाते. आज के दौर में मानसिक दबाव और डिप्रेशन एक सच्चाई है. एक ख़ास उम्र के बाद इससे निपटना बहुत मुश्किल हो जाता है."
पाकिस्तानी टीवी के सीनियर और मशहूर अभिनेता बेहरोज़ सब्ज़वारी ने बीबीसी उर्दू से बात करते हुए कहा,"बात यह है कि ऐसी बहुत सी बच्चियां हैं, जो इस्लामाबाद, लाहौर और पंजाब के कई शहरों से कराची आती हैं. यहां रहकर वो काम सीखती हैं और बहुत मेहनत से काम करती हैं."
वरिष्ठ कलाकार ख़ालिद अनम ने बीबीसी उर्दू से बात करते हुए कहा,"यह वाक़ई एक अफ़सोसजनक और दर्दनाक घटना है. काम मिलना या न मिलना अपनी जगह, लेकिन इंसान का रिश्ता अपने ईमान, मेहनत और नसीब से जुड़ा होता है. हम सबको सोचना चाहिए कि आख़िर ऐसा क्यों होता है कि इंसान अकेलेपन को चुन लेता है या सामाजिक रिश्तों से कट जाता है."
उन्होंने कहा,"मेरी गुज़ारिश है कि ऐसी बदक़िस्मत ख़बरों को सनसनीख़ेज़ न बनाएं. लाश का वीडियो और तस्वीरें न फैलाएं और तमाशा बनाने के बजाय दुआ करें और ख़ुद को बेहतर बनाने की कोशिश करें. समाज सुधार हमें ख़ुद करना है. हमें अपने रवैए और अपनी आदतों को बदलना होगा."
शोबिज़ इंडस्ट्री के दूसरे कलाकारों की तरह ज़ाले सरहदी भी हुमैरा की मौत पर बेहद दुखी थीं. बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा,"हमें सबसे पहले यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि हुमैरा के आख़िरी दिनों में उन पर क्या गुज़री. चाहे समस्या व्यक्तिगत हो या पेशेवराना, इस समय उन पर टिप्पणी करना मुनासिब नहीं."

अभिनेता और गायक मोहसिन अब्बास उन कलाकारों में से एक हैं जो लाहौर से कराची बस गए हैं और शोबिज़ इंडस्ट्री के लिए लंबे समय तक काम करते रहे हैं.
वो कहते हैं,"आयशा आपा के बाद अब हुमैरा की ख़बर ने दिल दहला दिया है. यह बहुत तकलीफ़देह है और ख़ौफ़नाक बात है कि हम सब इतने बिज़ी हो गए हैं कि एक-दूसरे से संपर्क में नहीं रहते. ख़ास तौर पर वो कलाकार जो दूसरे शहरों से आकर कराची में अकेले रहते हैं, उनकी हालत और ज़्यादा नाज़ुक होती है."
उनका कहना है,"मैंने ख़ुद भी कुछ दिन पहले सोचा कि केवल प्रोफ़ेशनल कॉल्स लूं, व्यक्तिगत बातचीत से दूर रहूं, लेकिन हुमैरा की ख़बर के बाद मैंने वो स्टेटस डिलीट कर दिया. क्या पता कोई मदद के लिए संपर्क करना चाह रहा हो?"
कराची में हाल के दिनों में यह ऐसी दूसरी घटना है जहां अकेली रहने वाली एक अभिनेत्री की लाश मिली हो. इससे पहले आयशा ख़ान नाम की सीनियर अभिनेत्री की मौत पर भी सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया सामने आई थी.
याद रहे कि इस साल जून में मशहूर सीनियर पाकिस्तानी अभिनेत्री आयशा ख़ान की उनके घर से सात दिन पुरानी लाश मिली थी. उनकी उम्र 76 साल थी.
पुलिस के मुताबिक आयशा ख़ान की स्वाभाविक मौत हुई थी. आयशा ख़ान कराची के गुलशन-ए-इक़बाल ब्लॉक 7 नजीब प्लाज़ा में अपने फ़्लैट में अकेले रहती थीं. इस फ़्लैट से बदबू फैलने पर मोहल्ले के लोगों ने पुलिस को बुलाया था. जब लोग उनके फ़्लैट का दरवाज़ा तोड़कर अंदर गए तो वो वहां मृत पाई गई थीं.
आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है.
अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवन आस्था हेल्पलाइन 1800 233 3330 से मदद ले सकते हैं.
आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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