जयपुर न्यूज़ डेस्क, आज यानी 30 अक्तूबर 2024, बुधवार के दिन छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। माना जाता है कि यह पूजा करने से मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचा जा सकता है। धार्मिक दृष्टिकोण से नरक चतुर्दशी का दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। क्या आप जानते हैं कि नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली क्यों कहते हैं और यह पर्व क्यों मनाया जाता है? आइए हम आपको बताते हैं और जानते हैं इस पर्व का महत्व...
छोटी दिवाली का महत्व
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से जातक अकाल मृत्यु से बच सकता है। साथ ही यह मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने का उपाय भी है। कहा जाता है कि इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है। एक अन्य मान्यता के अनुसार राम भक्त हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से इसी दिन जन्म लिया था। इसलिए इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी को क्यों कहा जाता है छोटी दीपावली?
छोटी दीपावली का पर्व धनतेरस के अगले दिन मनाया जाता है। यह पांच दिवसीय त्योहार का दूसरा दिन होता है और इसके अगले दिन दीपोत्सव मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार नरक चतुर्दशी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। दरअसल नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिवाली से एक दिन पूर्व मनाई जाती है। इस दिन भी घर में दीप जलाए जाते हैं। इस दिन मुख्य तौर पर 14 दीपक जलाने की परंपरा है।
नरक चतुर्दशी को यम चतुर्दशी, रुप चतुर्दशी या रुप चौदस जैसे नामों से भी जाना जाता है। इसके अलावा इसे नरक चौदस और नरक पूजा के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि इसे छोटी दिवाली के तौर पर मनाया जाता है। इस खास दिन पर यमराज की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
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