रामगढ़ रिजर्व प्रबंधन ने चीतल प्रजनन केंद्र में बाघों के लिए प्री-बेस बाड़ा बनाने की कवायद शुरू कर दी है।इसके लिए अब तक 15 हेक्टेयर में बने बाड़े का उपयोग बाजल्या बाड़े और रामगढ़ महल के पीछे बने बाड़े में बाघों के प्री-बेस को रखने के लिए किया जा रहा है। रामगढ़ रिजर्व के अधिकारी चाहते हैं कि बाहर से आने वाले चीतलों का प्रजनन इसी बड़े प्री-बेस बाड़े में हो, ऐसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। जैतपुर रेंज में बना प्री-बेस बाड़ा रिवाइन क्षेत्र में बना है।
इसके जरिए चीतलों को हरा चारा खिलाया जाता है। जैतपुर रेंज के रेंजर चंद्रकांत शर्मा ने बताया कि रिवाइन क्षेत्र होने के कारण प्री-बेस बाड़ा ऊबड़-खाबड़ है, जिसे समतल कर हरा चारा उगाने की व्यवस्था शुरू की जाएगी। पिछले दिनों नई दिल्ली से लाए गए चीतलों को इसी प्री-बेस बाड़े में रखा गया। फिर वनकर्मियों ने उन्हें पशु आहार, हरा चारा, मसूर और चना युक्त सूखा चारा खिलाया।ज़्यादा चारा खाने से होने वाली निर्जलीकरण से बचने के लिए हिरणों के पेट में नमक डाला गया, जिसे हिरणों ने चाटकर अपना पाचन ठीक रखा। नतीजा यह हुआ कि कुछ ही समय में, हिरणों के नई जगह आकर प्रजनन करने के बाद, तीन मादा चीतलों ने दो-दो बच्चों को जन्म दिया, यानी कुल 6 छोटे चीतल।
चीतल प्रजनन केंद्र बनने से पहले, बाहर से लाए गए चीतलों को रखा जा रहा है। अभी बाहर से और चीतल आने बाकी हैं। रामगढ़ के अधिकारियों ने बताया कि प्री-बेस बाड़े में उनकी संतानों का अनुपात बनाए रखने के लिए, जब 200 चीतल होंगे, तो 150 को जंगल में छोड़ा जाएगा। अभी तक सभी चीतलों को एक साथ छोड़ा जा रहा था, लेकिन अब 150 चीतल होने पर, प्रजनन के लिए बाड़े में 50 चीतल रखे जाएँगे। इसमें मादाएँ ज़्यादा और नर कम होंगे। नरों को जंगल में ज़्यादा छोड़ा जाएगा और प्रजनन के हिसाब से रखा जाएगा। इसमें प्रजनन के बाद चीतल को बाहर छोड़ा जाएगा और फिर नए नर और मादा चीतल रखे जाएँगे।
^चीतलों के लिए बाड़े में एक प्रजनन केंद्र भी खोला जाए, इसके लिए केंद्र पर होने वाले व्यय का प्रस्ताव बनाकर उच्च अधिकारियों को अवगत कराकर भेजा जाएगा। इस प्रजनन केंद्र से चीतल और अन्य वन्य प्राणियों की उपस्थिति हर समय उपलब्ध रहेगी, ताकि रामगढ़ की आवश्यकता के अनुसार जंगल के विभिन्न क्षेत्रों में उन्हें प्री-बेस के रूप में छोड़ा जा सके।
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