27 साल पहले 11 और 13 मई 1998 को किए गए परमाणु परीक्षणों ने भारत को परमाणु शक्तियों की सूची में शामिल कर दिया था। देश के वैज्ञानिकों ने जब सैटेलाइट की निगरानी से बचते हुए पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में पांच परमाणु विस्फोट किए तो इसकी गूंज पूरी दुनिया ने सुनी और पोखरण के साथ खेतोलाई गांव का नाम भी इतिहास में दर्ज हो गया। इन विस्फोटों की खास बात यह रही कि देश-विदेश की सुरक्षा एजेंसियों को इसकी खबर नहीं लगी। परीक्षण से महज चंद घंटे पहले खेतोलाई गांव के लोगों को रूटीन अभ्यास की जानकारी दी गई। पहला विस्फोट दोपहर 2:45 बजे हुआ और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शाम पांच बजे इसकी घोषणा की। उन्होंने जय जवान, जय किसान के साथ जय विज्ञान का नारा जोड़ा, जिसने देश को आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा दी। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे पूर्व राष्ट्रपति और डीआरडीओ निदेशक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इन वैज्ञानिकों ने न केवल देश को ताकत दी, बल्कि दुनिया को भी चौंका दिया। कुल पांच विस्फोट किए गए - 11 मई को दो और 13 मई को तीन। इनमें एक फ्यूजन बम और चार विखंडन बम शामिल थे। खास रणनीति के तहत परीक्षण स्थल से दूर पिनाका रॉकेट दागे गए और दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए वायुसेना ने रनवे को नष्ट करने का अभ्यास किया। खेतोलाई गांव से महज 5 किलोमीटर दूर हुए इस परीक्षण पर गांव वालों को आज भी गर्व है।
तथ्य फ़ाइल:-
27 साल पहले पोखरण की धरती पर परमाणु परीक्षण किए गए थे
11 मई 1998 को 2 विस्फोट किए गए थे
13 मई 1998 को 3 विस्फोट किए गए थे
परमाणु परीक्षण श्रृंखला के तहत 5 विस्फोट किए गए थे
खेतोलाई गांव पोखरण से 25 किमी दूर है
परमाणु परीक्षण स्थल 5 किमी दूर है खेतोलाई गांव से दूर
वो पल आज भी याद आते हैं
11 मई 1998 को गांव में सैनिकों ने डेरा डाला हुआ था। दोपहर करीब 2:45 बजे यहां परमाणु परीक्षण विस्फोट हुआ। 1 के एक पल में खेतोलाई और पोखरण का नाम पूरी दुनिया में गूंज उठा। वो पल आज भी याद आते हैं।
गर्व की बात
खेतोलाई की धरती पर परमाणु परीक्षण करना खेतोलाई के निवासियों के लिए गर्व की बात है। परीक्षण के कारण पोखरण और खेतोलाई को पूरी दुनिया में पहचान मिली है। परीक्षण के 27 साल पूरे होने पर हमें खुशी है।
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