Next Story
Newszop

Rajasthan Fraud News: 400 करोड़ की ठगी कर सबूत नदी में बहाए, पत्नी बनी मददगार और विदेशी से कनेक्शन भी आया सामने

Send Push

साइबर थाना धौलपुर में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने 400 करोड़ रुपये की ठगी के मास्टरमाइंड को मिर्जापुर से गिरफ्तार किया है। पुलिस के पहुंचने से पहले ही आरोपी ने अपना लैपटॉप और फोन नदी में फेंक दिया था। ठगी करने वाले ने न तो सिम कार्ड का इस्तेमाल किया और न ही उसका सोशल मीडिया पर कोई अकाउंट था। आरोपी अपनी पत्नी के वाई-फाई से गिरोह को निर्देश देता था।पुलिस महानिरीक्षक राहुल प्रकाश ने बताया कि पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। ठगी के इस खेल में विदेशी साझेदार भी शामिल बताए जा रहे हैं। ठगी का खेल कबोड़िया से संचालित हो रहा था। गिरफ्तार आरोपी रोहित दुबे (28) पुत्र शरद दुबे निवासी बड़ौदा कछार रामचंद्र शुक्ला पार्क के सामने तहसील सदर थाना कटरा कोतवाली मिर्जापुर उत्तर प्रदेश हाल फर्स्ट क्रॉस एचएसआर लेआउट सेक्टर सात बेंगलुरु (कर्नाटक) का रहने वाला है।

टेलीग्राम से चल रहा था गिरोह

रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि 400 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हाल ही में ठग गिरोह के सरगना रोहित दुबे को यूपी के मिर्जापुर से गिरफ्तार किया गया है। वह अपनी पत्नी के साथ रह रहा था। ठग रोहित अपनी पत्नी के मोबाइल के वाई-फाई से टेलीग्राम का इस्तेमाल कर रहा था। वह अपना मोबाइल नंबर और सोशल मीडिया साइट्स इस्तेमाल नहीं कर रहा था। पुलिस ने खुफिया जानकारी के आधार पर उसे गिरफ्तार किया है।

बेंगलुरु में मुख्यालय स्थापित

आईजी ने बताया कि आरोपी रोहित और शशिकांत ने मिलकर एबंडेंस पेमेंट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी खोली, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थापित किया गया। रोहित इस कंपनी का निदेशक है और तकनीकी कार्य देखता है।रोहित ने पूछताछ में बताया कि उसने और शशिकांत सिंह ने फरवरी 2024 में एबंडेंस पेमेंट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड खोली थी।ये लोग कंपनी के व्यापारी से सीधे संपर्क नहीं करते थे। रोहित ने बताया कि ऑन-बोर्डिंग का सारा काम रीसेलर्स के जरिए होता है। कंपनी के करीब 25 व्यापारी हैं। इनमें से ज़्यादातर कंपनियों (पे-इन और पे-आउट) पर हमारा नियंत्रण है। वे लोगों को ऑनलाइन गेमिंग और निवेश का लालच देकर ठगते थे।

ये था पूरा मामला

आईजी ने बताया कि 6 मार्च 2025 को हरि सिंह नाम के एक व्यक्ति ने साइबर थाना धौलपुर के हेल्पलाइन नंबर-1930 पर डायल कर फिनो पेमेंट बैंक के खाते से साइबर धोखाधड़ी की शिकायत की थी। शिकायत के विश्लेषण से चौंकाने वाली बात सामने आई। इस खाते के खिलाफ 3 हज़ार शिकायतें थीं, जो अब बढ़कर 4 हज़ार से ज़्यादा हो गई हैं।

इसके बाद 8 मई की रात पुलिस ने दिल्ली के मोहन गार्डन से रविंद्र सिंह (54) पुत्र त्रिलोकी नाथ सिंह बलिया यूपी, दिनेश सिंह (49) पुत्र दीनानाथ बलिया यूपी और उसकी पत्नी कुमकुम (38) को गिरफ्तार किया। इसके बाद 30 मई को देवेंद्र को गिरफ्तार किया गया। देवेंद्र 28 लाख का पैकेज छोड़कर साइबर ठगी में लिप्त था। उसने एमबीए किया हुआ है। अब 15 जुलाई को मास्टरमाइंड रोहित दुबे को मिर्जापुर यूपी से गिरफ्तार किया गया है। दूसरा जालसाज शशिकांत अभी फरार है।

कंबोडिया में हैं आरोपी के साथी

आईजी के अनुसार, रोहित ने पूछताछ में बताया है कि पुलिस के आने से पहले उसने अपना लैपटॉप और मोबाइल नदी में फेंक दिया था, जिसकी जाँच की जा रही है। उम्मीद है कि हम उन्हें बरामद कर लेंगे। रोहित और शशिकांत ने फर्जी डायरेक्टर बनाकर करीब 25 कंपनियाँ खोली थीं, जिनमें से 16 कंपनियाँ प्रथम दृष्टया फर्जी निकली हैं।पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि 16 कंपनियों के ज़रिए आरोपी साइबर ठगी कर रहे थे और ठगी की रकम दूसरी कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर रहे थे। आरोपियों के विदेशी साथी भी हैं। आरोपी उन्हें तकनीकी टीम बताते हैं। वे कंबोडिया से काम कर रहे हैं।

आरोपी 7 बार कंबोडिया गए

आईजी ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि गिरफ्तार रोहित और फरार शशिकांत पूरी साइबर ठगी का काम संभालते थे। ये दोनों अपने गिरोह के लोगों को सिम कार्ड लाकर ठगी की योजना बनाते थे। दोनों आरोपी करीब 7 बार कंबोडिया गए। एक-दो बार टीम के अन्य सदस्यों को भी काबोडिया भेजा गया था।

हालांकि, इस ठगी में उनका ज़्यादा हाथ नहीं था। ये आरोपी विदेशी साइबर ठगों के संपर्क में थे। ये टेलीग्राम ग्रुप पर जुड़े हुए हैं। पुलिस ने इन ग्रुप्स को भी खंगाला है, लेकिन अभी तक नामों से कोई सुराग नहीं मिला है। पूछताछ के बाद और खुलासे हो सकते हैं।

पूछताछ में कुछ विदेशी नाम सामने आए हैं। गिरफ्तार आरोपी से आगे की पूछताछ की जा रही है ताकि पता लगाया जा सके कि ये कोड नाम हैं या असली नाम। पूछताछ में पता चला है कि विदेशी लोग ग्रुप पर ही निर्देश देते थे। वह गिरफ्तार आरोपी से कभी नहीं मिला। बहरहाल, पुलिस जांच कर रही है कि सच्चाई क्या है।

Loving Newspoint? Download the app now